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Welcome to the Chapter 16 - Patajhad Mein Tootee Pattiyaan; Ginnee Ka Sona; Jhen Kee Den, Class 10 Hindi - Sparsh NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 16 - Patajhad Mein Tootee Pattiyaan; Ginnee Ka Sona; Jhen Kee Den. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
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शुद्ध सोने में किसी प्रकार की मिलावट नही की जा सकती थी ताँबे से सोना मजबूत हो जाता था परन्तु शुद्ता समाप्त हो जाती थी इसी प्रकार व्यवहारिकता में शुद्ध आदर्श समाप्त होता था I
चाजीन ने टी सेरेमनी से जुडी सभी क्रियाएं गरिमापुण ढंग से करता था यह सेरेमनी एक पर्णकुटी में पूण होती थी चाजीन द्वारा अतिथियों का उठकर स्वागत करना आराम से अँगीठी सुलगाना चायदानी रखना था दूसरेकमरे से चाय के बर्तन लाना होता था I
टी सेरेमनी में केवल तीन ही लोगो को प्रवेश दिया जाता था इसका कारण यह था की भाग दोड़ से भरी ज़िन्दगी से दूर कुछ पल अकेले बिताना था और साथ ही जहां इंसान भूतकाल और भविष्यकल की चिंता से मुक्त हो कर वर्तमान में जी पाता था I
चाय पीने के बाद लेखक ने महसूस किया था कि जेसे उनके दिमाग की गति मंद पड़ गई थी धीरे धीरे उसका दिमाग चलना भी बंद हो जाता था यहाँ तक की उन्हें कमरे में पसरे हुए सन्नाटे की आवाज भी सुनाई नही देती थी I
गाँधीजी में अद्भुत श्रमता है उन्होंने अपने सारे आदोलनो को व्यावहारिकता के स्तर से आदर्शो के स्तर पर चढकर चलाते है इसीलिए उनके सारे आन्दोलन भारत छोड़ो उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपने आदर्शो का हथियार बना देता था उनके लाखो भारतीयों ने उनके कंधे से कंधा मिलाकर सघर्ष करते थे I
सत्य अहिसा परोपकारी ईमानदारी आदि मूल्य शाश्वत मूल्य होता था वर्तमान समय में भी इनकी प्रासगिकता बनी होती थी क्योकि आज भी सत्य और अहिसा के बिना राष्ट का कल्याण और उन्नति नही होती थी I
(क) शुद्ध आदर्श का पालन करने में एक बार खुद ही फँस जाता है एक बार ट्रैफिक हवलदार को मेने रिश्वत लेते थे और उसको पकड लिया था और उसकी शिकायत उसके बड़े अफसर से करते थे I
(ख) शुद्ध आदर्श व्यावहारिकता का पूत देकर एक बार मेने शिक्षक से शबाशी भी पा लेता था एक विद्यार्थी को नकल करने से भी रोका था एक बार परीक्षा भवन में मेरे आगे बेठा विद्यर्थी नकल करता है में उसे रोकना चाहता था परन्तु यदि उसकी शिकायत में सीधे जाकर शिक्षक से करता तो बाद में वह मझसे बदला लेता था I
शुद्ध सोने में तांबे की मिलावट का अर्थ था आदर्शवाद में व्यवहारवाद को मिला देना था शुद्ध सोना आदर्शो का प्रतीक था और ताँबा व्यावरिकता का प्रतीक होता था गाँधीजी व्यवहारिकता की कीमत जानते है इसीलिए वे अपना विलक्षण आदर्श चला सकते थे लेकिन अपने आदर्शो को व्यवहारिकता के स्तर पर उतरने नही देना चाहते थे I
गिन्नी का सोना पाठ के आधार पर यह स्पष्ट होता था जीवन में आदर्शवादिता का ही अधिक महत्त्व था अवरसादी व्यक्ति सदा अपना हित देखता था वह प्रत्येक कार्य अपना लाभ हानि देखकर ही करता था आज भी समाज के पास जो भी मूल्य होता था सब आशीर्वाद द्वारा ही दिए जाते थे
लेखक के मित्र ने मानसिक रोग का मुख्य कारण अमेरिका से आर्थिक प्रतिस्पर्धा को बताते थे जिसके परिणामस्वरूप देश के लोग एक महीने का काम एक दिन में करने का प्रयास करते थे इस कारण वे शारीरिक व् मानसिक संतुलन बिगड़ जाना स्वाभाविक होता था I
लेखक के अनुसार सत्य वर्तमान था उसी में जीना था हम अक्सर या गुजरे हुए दिनों की बातो में उलझे रहते तह या भविष्य के सपने देखते थे इस तरह भूत या भविष्य काल में जीते रहते थे असल में दोनों कल मिथ्या थी हम जब भूतकाल के अपने सुखो एव दुखों पर गोर करते थे तो हमारा दुःख बढ़ जाता था भविष्य की कल्पनाए भी हमे दुखी करते थे I
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