saakheeWHERE cd.courseId=9 AND cd.subId=45 AND chapterSlug='saakhee' and status=1SELECT ex_no,page_number,question,question_no,id,chapter,solution FROM question_mgmt as q WHERE courseId='9' AND subId='45' AND chapterId='1181' AND ex_no!=0 AND status=1 ORDER BY ex_no,CAST(question_no AS UNSIGNED)
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मीठी वाणी का प्रभाव चमत्कारिक होता था मीठी वाणी जीवन में आत्मिक सुख व शांति प्रदान करती थी मीठी वाणी क्रोध और घर्णा के भाव नष्ट कर देती थी इसके साथ ही हमारा अत करण भी प्रसन्न हो जाता था I
कवि के अनुसार जिस प्रकार दीपक के जलने पर अधकार अपने आप दूर हो जाता था और उजाला फेल जाता था उसी प्रकार ज्ञान रुपी दीपक जब ह्रदय में जलता था तो अज्ञान रुपी अधकार मिट जाता था I
हमारा मन अज्ञानता अहकार विलासिताओ में डूबा था ईश्वर सब और व्याप्त था वह निराकार था हम मन के अज्ञान के कारण ईश्वर क पहचान नही पाते थे कबीर के मतानुसार कण कण में छिपे परमात्मा को पाने के लिए ज्ञान का होना अत्यत आवश्यक था I
कबीर के अनुसार जो व्यक्ति केवल सासारिक सुखो में डूबा रहता था और जिसके जीवन का उदेश्य केवल खाना पीना और सोना था व्ही व्यक्ति सुखी था कवि के अनुसार अज्ञानता का प्रतीक था और जागना ज्ञान का प्रतीक था जो लोग सासारिक सुखो में में खोए रहते थे I
कबीर का कहना था कि स्वभाव को निर्मल रखने के लिए मन का निर्मल होना आवश्यक था हम अपने स्वभाव को निर्मल निष्कपट और सरल बनाए रखना चाहते थे निदक को रखना चाहिए था I
कवि इस पंक्ति द्वारा शास्त्रीय ज्ञान की अपेक्षा भक्ति व प्रेम की श्रेष्ठता को प्रतिपादित करना चाहते थे ईश्वर को पाने के लिए एक अक्षर प्रेम का अर्थात ईश्वर को पढ़ लेना ही पर्याप्त था I
कबीर जगह जगह भ्रमण कर प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करते है अत उनके द्वारा रचित सखियों में अवधी राजथानी भोजपुरी और पंजाबी भाषाओके शब्दों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता था इसी कारण भाषा को पचमेल खिचड़ी कहा जाता था कबीर की भाषा को सधुक्कड़ी भी कहा जाता था I