Complete NCERT Solutions Guide
Access step-by-step solutions for all NCERT textbook questions
==================>>>1==================>>>2==================>>>3==================>>>4
Welcome to the Chapter 1 - Saakhee, Class 10 Hindi - Sparsh NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 1 - Saakhee. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
Our solutions explain each answer in a simple and comprehensive way, making it easier for students to grasp key topics Saakhee and excel in their exams. By going through these Saakhee question answers, you can strengthen your foundation and improve your performance in Class 10 Hindi - Sparsh. Whether you’re revising or preparing for tests, this chapter-wise guide will serve as an invaluable resource.
मीठी वाणी का प्रभाव चमत्कारिक होता था मीठी वाणी जीवन में आत्मिक सुख व शांति प्रदान करती थी मीठी वाणी क्रोध और घर्णा के भाव नष्ट कर देती थी इसके साथ ही हमारा अत करण भी प्रसन्न हो जाता था I
कवि के अनुसार जिस प्रकार दीपक के जलने पर अधकार अपने आप दूर हो जाता था और उजाला फेल जाता था उसी प्रकार ज्ञान रुपी दीपक जब ह्रदय में जलता था तो अज्ञान रुपी अधकार मिट जाता था I
हमारा मन अज्ञानता अहकार विलासिताओ में डूबा था ईश्वर सब और व्याप्त था वह निराकार था हम मन के अज्ञान के कारण ईश्वर क पहचान नही पाते थे कबीर के मतानुसार कण कण में छिपे परमात्मा को पाने के लिए ज्ञान का होना अत्यत आवश्यक था I
कबीर के अनुसार जो व्यक्ति केवल सासारिक सुखो में डूबा रहता था और जिसके जीवन का उदेश्य केवल खाना पीना और सोना था व्ही व्यक्ति सुखी था कवि के अनुसार अज्ञानता का प्रतीक था और जागना ज्ञान का प्रतीक था जो लोग सासारिक सुखो में में खोए रहते थे I
कबीर का कहना था कि स्वभाव को निर्मल रखने के लिए मन का निर्मल होना आवश्यक था हम अपने स्वभाव को निर्मल निष्कपट और सरल बनाए रखना चाहते थे निदक को रखना चाहिए था I
कवि इस पंक्ति द्वारा शास्त्रीय ज्ञान की अपेक्षा भक्ति व प्रेम की श्रेष्ठता को प्रतिपादित करना चाहते थे ईश्वर को पाने के लिए एक अक्षर प्रेम का अर्थात ईश्वर को पढ़ लेना ही पर्याप्त था I
कबीर जगह जगह भ्रमण कर प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करते है अत उनके द्वारा रचित सखियों में अवधी राजथानी भोजपुरी और पंजाबी भाषाओके शब्दों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता था इसी कारण भाषा को पचमेल खिचड़ी कहा जाता था कबीर की भाषा को सधुक्कड़ी भी कहा जाता था I
Join thousands of students who have improved their academic performance with our comprehensive study resources.