कवि ने गाव को हरता जन मन इसलिए कहा था क्योकि उसकी शोभा अनुपम थी चारो तरफ हरियाली के कारण धरती प्रसन्न थे I
कविता में बसंत ऋतु के सोदर्य का वर्णन था इसी ऋतु में सरसों के पीले फूल खिलते थे
मरकत पन्ना नामक रत्न को कहते थे जिसका रंग हर होता था मरकत के खुले डिब्बे से सब कुछ साफ़ साफ़ दिखता था मरकत के हरे रंग की तुलना गाव की हरियाली से की जाती थी I
अरहर और सनई के खेत कवि को सोने की किकनियो के सामान दिखाई दे रहे थे I
(क) प्रस्तुत पक्तियों में गंगा नदी के तट वाली जमीन को संतरगी कहा जाता था जो सूरज की किरणों के प्रभाव से चमकने लगती थी I
(ख) इन पक्तियों में गाँव की हरियाली का वर्णन प्रस्तुत किया गया था सूरज के प्रकाश में जगमगाती हुई हँसमुख सी प्रतीत होती थी I
हरे हरे – पुनरुक्ति अलंकार है I
हिल हरित – अनुप्रास अलंकार है I
तिनको के तन पर – मानवीकरण अलंकार है I
इस कविता में उतरी भारत के गाँव का चित्रण हुआ था उतरी भारत भारत के खेती प्रधान राज्यों में प्रमुख था I
प्रस्तुत कविता भाव और भाषा दोनों की ही द्रष्टि से अत्यत सहज और आकर्षण था प्रस्तुत कविता में लुभावना और सुंदर वर्णन हुआ था कवि ने संसार का मानवीकरण किया था I