को माँ ने बताया है कि दक्षिण दिशा में यमराज का घर होता था इस दिशा में पैर केके कभी नही सोना चाहिए नही था यमराज रुष्ट होते थे I
बचपन से ही उनके मन में यह अवधारण बन गई है कि दक्षिण दिशा की और पैर करके सोने से म्रत्यु की प्रप्ति होती थी I
दक्षिण दिशा का आशय मृत्यु की दिशा से था परन्तु आज मनुष्य का जीवन कही सुरक्षित नही था चारो और असंतोष हिंसा और ताकत फेली हुई थी विज्ञान ने समाज को प्रगतिशील बनाया था अब मोत की एक दिशा नही थी I
प्रस्तुत कविता का भाव यह कि आज सामान्य जनमानस कही पर भी सुरक्षित नही था आतंक तथा हिंसा ने यमराज के रूप में आज संपून संसार पर अपना कब्जा कर लिया था
कभी कभी उचित अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता था ताकि ईश्वर में आस्था बनी रहे थे हम बुराईयो और अनेकित कृत्य से दूर रहे थे मर्यादित जीवन जिए I
कभी कभी उचित अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता था ताकि ईश्वर में आस्था बनी रहे थे हम बुराईयो और अनेकित कृत्य से दूर रहे थे मर्यादित जीवन जिए I