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Welcome to the Chapter 15 - Charlie Chaplin Yani Hum Sab, Class 12 Hindi - Aroh NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 15 - Charlie Chaplin Yani Hum Sab. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
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1. चार्ली की कला के सर्वभोमिक होने के सही कारणों की तलाश अभी शेष था हरबार मुसीबतों से घिरा इसका चरित्र आत्मीय सा प्रतीत था I
2. विकाशशील दुनिया में जेसे जेसे टेलीविजन , वीडियो तथा अन्य साधनों का प्रसार होता है उससे एक नया दर्शक वर्ग चार्ली की फिल्मो को देखने के लिए तैयार था I
3. चैप्लिन की ऐसी कुछ फिल्मे या इस्तेमाल न की गई रीले भी मिली है जिनके बारे में कोई नहीं जानता जिस पर कार्य होना अभी बाकी था I
बाज़ार ने चार्ली का उपयोग अपने ग्रहाको को लुभाने और हँसी – मज़ाक के प्रतीक के रूप में उपयोग करता है I
फिल्म कला को लोकतात्रिक बनाने का अर्थ है कि उसे सभी के लिए लोकप्रिय बनाना और वर्ग और वर्ण व्यवस्था को तोड़ने का आशय होता है समाज में प्रचलित अमीर – गरीब , वर्ण , जातिधर्म के भेदभाव को समाप्त करता था चार्ली ने दर्शको की वर्ण व्यवस्था को तोड़ता था इससे पहले लोग किसी जाति , धर्म , समूह या वर्ण विशेष के लिए फिल्म बना लेते है I
लेखक ने चार्ली भारतीयकरण राजकपूर द्वारा निर्मित आवारा को कहते है क्योकि इस फिल्म में पहली बार राजकपूर ने फिल्म के नायक को हँसी का पात्र था दर्शक उनके इस नवीन प्रयोग से प्रभावित थे I इस फिल्म के बाद से भारतीय फिल्मो में चार्ली की तरह ही नायक – नायिकाओं की खुद पर हँसने वाली फिल्मो की परपरा चलती है I
लेखक ने कलाकृति और रस के सर्दभ में रस को श्रेयस्कर मानते थे इसका कारण यह है कि किसी भी कलाकृति में एक साथ कही रासो के आ जाने से कला और अधिक स्म्रद्शाली और रुचिकर बनाते है रस मानवीय भावो का दर्पण था जो किसी भी कला के माध्यम से दर्शको एव श्रोताओ के प्रस्तुत करते थे I
चार्ली का बचपन बहुत गन्दे में बिता था पिता से अलगाव होने के बाद उन्हें परिय्क्ता माँ के साथ जीवन गुजरना पड़ा था उनकी माँ दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री थी जो बाद में पागलपन का शिकार बन चुकी थी इस प्रकार स्वस्थ पारिवारिक जीवन के आभाव में उन्हें कटु सामाजिक परिस्थितयो का सामना करना पड़ा था I
चार्ली की फिल्मो में निहित त्रासदी/करुणा/हास्य का सामजस्य भारतीय कला और सोदर्यशास्त्र की परिधि में नहीं आता था क्योकि भारतीय कला में रसो की महता है परन्तु करुणा रस के हास्य भारतीय कला परपराओ में नहीं मिलता था I
चार्ली सबसे ज्यादा स्वय पर तब हँसता था जब वह स्वय को आत्म विशवास से भरपूर सफलता सभ्यता संस्कृति तथा समृधि की प्रतिमूर्ति दूसरों से ज्यादा स्वय को शक्तिशाली तथा स्वय को शक्तिशाली तथा समझने वाले को असहाय अवस्था में अपने व्रजाद्पि श्रण में देखता था I
मेरे विचार से मूक फिल्मो में ज्यादा परिक्षम की आवश्यकता रहेती है सवाक फिल्मो में कलाकार अपने शब्दों द्वारा अपने भावो को व्यक्त करता है आसानी से सवाद अभिनय के द्वारा अपनी बात दर्शको और श्रोताओं तक पंहुचा था
में इन दोनों में अपने आप को चार्ली के निकट ही पाता था जो हमारी तरह ही रोजमर्रा की समस्याओं से लड़ता था जबकि सुपरमैन बड़ी आसानी से पलक झपकते ही समस्या पर काबू कर पाता था I
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