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Welcome to the Chapter 2 - Patang, Class 12 Hindi - Aroh NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 2 - Patang. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
Our solutions explain each answer in a simple and comprehensive way, making it easier for students to grasp key topics Patang and excel in their exams. By going through these Patang question answers, you can strengthen your foundation and improve your performance in Class 12 Hindi - Aroh. Whether you’re revising or preparing for tests, this chapter-wise guide will serve as an invaluable resource.
आसमान में रंग बिरगी पतंगों को देखकर मुझे मन होता है कि में पछी बन स्वछंद नभ में उड़ता फिरूँ और उड़ कर क्षितिज तक पहुच जाऊ I
जब हम किसी कार्य को पूरा करने में मर्ग होता है तब हमारा शरीर जेसे उस कार्य की लय में डूबा रहेता है उसी प्रकार संगीत सुनते हुए हम उसकी लय ताल में खोय रहते है इसीलिए कहा गया है 'रोमाचित शरीर का संगीत'I
जब बच्चे छतों के किनारों पर खड़े होकर पतंग उड़ा रहे होते हैं, तो पतंग की डोर उन्हें गिरने से रोक लेती है। बच्चों का पतंग की डोर से भी उतना ही लगाव होता है जितना पतंग से। वे पतंग को आकाश में ऊँचा उड़ते देखना पसंद करते हैं और साथ ही इस बात पर भी ध्यान देते हैं कि चक्के में कितनी डोर बची है। इन ऊँचाइयों पर उड़ती पतंगों से बच्चे खुद को संभालना सीखते हैं।
पतंग कविता में कवि आलोक धन्वा में बच्चो की बाल सुलभ इच्हाओ और उमगों का प्रकति के साथ उनके रागात्मक सबधो का अत्यत सुन्दर चित्रण करते दिखाता है यह अभिव्यक्त किया है कि भादो मास गुजर जाने के बाद घनघोर बारिश समाप्त हो जाती है शरद ऋतु का आगमन रहेता है खरगोश की लाल आखों जेसी चमकीली धूप निकला रहेती है इसके कारण चारो और उज्वल चमक बिखर जाती है आकाश साफ़ और मुलायम हो जाता है हवाओं में एक मनोरम सुगधित महक फ़ैल जाती है शरद ऋतु के आगमन से चारो और उत्साह एव उमग का वातावरण रहेता है पतंगबाजी का माहोल बना रहेता है I
पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन चीज़, सबसे पतला कागज़ , सबसे पतली कमानी जेसे विशेषणों का प्रयोग कर कवि उसका साकार रूप पाठको के सामने रखना चाहते है उनके मन में जिज्ञासा जगाना चाहते है तथा पतंग को विशिष्ट बनाकर उसकी और ध्यान आकषित्त कराना चाहते है क्योकि विशेष वस्तु प्राप्त करने की लालसा सबसे भीतर होती है I
तेज़ बौछारे = द्रश्य ( गीतशील ) बिब
. सवेरा हुआ = द्रश्य ( स्थिर ) बिब
. खरगोश की आँखों जेसा लाल सवेरा = द्रश्य (स्थिर) बिब
. पुलों को पार करते हुए = द्रश्य (गीतशील) बिब
. अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए = द्रश्य (गीतशील) बिब
. घटी बजाते हुए जोर जोर से = क्ष्ब्य बिब
. चमकीले इशारो से बुलाते हुए = द्रश्य (गीतशील) बिब
. आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए = स्पर्श बिब
. पतंग ऊपर उठ सके = द्रश्य (स्थिर) बिब
बच्चो के पैर कपास की तरह नरम , मुलयम , हलके फुलके और चोट खाने में समर्थ बनते है इसीलिए वे पूरे दिन नाच कूद करते है पतंग को उचाई तक पहुचाने की धुन में वे इतने मगन रहते है कि कपास जेसे मुलायम उनके तलवे जमीन की कठोरता का अनुभव महसूस नहीं करते है I
पतंग उड़ाते समय बच्चे रोमाचित रहते है जिस प्रकार पतंग आकाश में उड़ती हुई उचाईया छूती रहेती है उसी प्रकार बच्चे भी छतो पर डोलते रहते है वे किसी भी खतरे से बिलकुल बेखबर रहते है एक संगीतमय ताल पर उनके शरीर हवा में लहराते रहेती है जेसे वे खुद एक पतंग उड़ाते उड़ाते मानो उनके छोटे छोटे सपनो को पंख लग रहे है I
1.दिशाओं को म्रदग की बजाते हुए का तात्पर्य संगीतमय वातावरण की सृष्टी की गई है पतंग काटने पकड़ने के लिए इधर उधर दौडते बच्चो की पदचापो से दिशाओं गुजित हो जाती है उस समय उनकी आवाज म्रदग की तरह प्रतीत होती है I
2. नहीं जब पतंग सामने हो तो छतो पर दौड़ते हुए छत कठोर नहीं लगती उस समय वे उस समय वे उसे में मगन रहते है I
3. खतरनाक परिस्थी का सामना करने के बाद हम दुनिया की चुनोतियो के सामने स्वय को सक्षम महसूस करते है निडरता उत्पन होने से आत्मविश्वास बढता रहता है I
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