अक्षरों के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई क्योकि इसके पहले मानव सभ्यता लिखित इतिहास नही मिलता था अक्षरों खोज के बाद ही एक पीढ़ी के ज्ञान का इस्तेमाल दूसरी पीढ़ी के ज्ञान का इस्तेमाल दूसरी पीढ़ी कर पायी जिससे मनुष्य प्रगति के पथ पर बढ़ सका था
प्रगोतिहसिक मानव ने सबसे पहले चित्रों के जरिए अपने भाव को व्यक्त किया जेसे , पशुओ , पक्षियों , आदमियों आदि के चित्र – सकेतो के बाद में , भाव – सकेत अस्तित्व में आए थे जेसे , एक छोटे व्रत के चहु किरणों की घोतक रेखाए खीचने पर वह सूर्य का चित्र बन जाता है बाद में यही चित्र
ताप या धूप का घोतक बन गया था इस तरह भाव – सकेत अस्तित्व में आए थे I
अक्षरों के ज्ञान से पूर्व मनुष्य अपनी बात को दूर – दराज के इलाको तक पहुचने के लिए पशुओ , पक्षियों , आदमियों आदि के चित्र बनाकर भाव सकेत का सहारा लेता है I
ध्वनि हमारे विचारों को बोलकर प्रस्तुत करने का साधन थे यह भाषा की सबसे छोटी इकाई थे इनके द्वारा ही हम एक दूसरे से बातचीत करते थे यह हमारे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण थे I
मौखिक भाषा हर व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। हम अपने विचारो को हर पल लिखकर प्रकट नहीं कर सकते इसलिए मौखिक भाषा का होना अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
पुराने जमाने में लोग यह इसलिए सोचते थे कि अक्षर और भाषा की खोज ईश्वर ने की क्योकि उन्हें इनके इतिहास के बारे में जानकारी नही है यह कब और केसे शुरू हुआ था I