प्रस्तुत निबंध में लोकगीतों का इतिहास , उनकी रचनात्मकता , जनमानस में लोकप्रियता , स्त्रियों का लोकगीतों में योगदान , उनके विभिन्न प्रकार , उनके संगीत यत्र , उनकी भाषा , नृत्य और
लोकगीत जेसे अनेक बिन्दुओ पर चर्चा की गई थी I
हमारे यहाँ त्योहारों पर नहाते समय के नहाने जाते हुए राह के , विवाह के , मटकोड , ज्योनार के सबधियो के लिए प्रेमयुक्त गाली के , जन्म पर आदि अवसरों पर गाये जाने अलग – अलग गीत थे जो स्त्रियों के लिए ख़ास गीत थे I
लोकगीत की अनेक विशेषताए है –
- ये हमे गाँव के जन जीवन से परिचित कराते थे I
- इनके वाध यत्र बहुत सरल होते थे जेसे ढोल , ढपली थाल आदि I
- ये समूह में ऊँची आवाज में गाये जाते थे जिस कारण हमारे अंदर उत्साह का सचार होता था I
- इन गीतों को गाने के लिए हमे किसी संगीत के ज्ञान की आवश्यकता नही होती थी I
पूरब की बोलियों में हमेशा मैथिल – कोकिल विधापति द्वारा लिखित गीत गाये जाते थे परन्तु अगर वहा से निकलकर अन्य या प्रदेशो राज्यों में जाए तो उन लोगो के लोकगीतों की रचना करने वाले अपने – अपने विधापति मोजूद थे I