जो देखकर भी नहीं देखते - Jo Dekhakar Bhee Nahin Dekhate Question Answers: NCERT Class 6 Hindi - Vasant

Exercise 1
Q:
A:

लोगो के पास जो चीज़ उपलब्ध होती थी उसका उपयोग वे नही करते इसलिए हेलेन केलर को ऐसा लगता था कि जिन लोगो के पास आँखे थी वे सचमुच बहुत कम देखते थे I


Q:
A:

प्रकति के सोदर्य और उनमे होने वाले दिन – प्रतिदिन बदलाव को प्रकति का जादू कहा गया था I


Q:
A:

एक बार हेलेन केलर की प्रिय मित्र जंगल में घूमने गई है जब वह वापस लोटी तो हेलेन केलर ने उससे जंगले के बारे में जानना चाहा तब उनकी मित्र ने जवाब दिया कि कुछ ख़ास तो नही यह सुनकर हेलेन को आश्रय इसलिय हुआ क्योकि लोग आँखे होने के बाद भी कुछ नही देख पाते थे I


Q:
A:

हेलन केलर भोज – पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती है वसंत के दोरान वे टहनियों में नयी कलियाँ , फूलो की पखुडियो की मखमली सतह और उनकी घुमावदार बनावट को भी वे छुकर पहचान लेती है I


Q:
A:

इन पक्तियों में हेलेन केलर ने जिंदगी में आँखों के महत्त्व को बताया था वह कहती है कि आँखों के सहयोग से हम अपने जिंदगी के खुशियों के रंग – बिरंगे रंगों से रंग सकते थे I


Exercise 2
Q:
A:

कान से न सुनने पर आस पास की दुनिया एकदम शांत लगती थी हम दूसरो की बातो को सुन नही पाते थे केवल चीजो को देखकर हम उन्हें समझने का प्रयास कर सकते थे I


Q:
A:

उनके अनुभव जानने के लिए निम्नलिखित प्रश्न कर सकते हैं-

  • किसी भी ध्वनि को सुनकर वे कैसे अनुमान लगाते हैं कि ध्वनि किसकी है?
  • किसी भी चीज़ को चखकर वे क्या हैं? और कैसा अनुभव करते हैं?
  • क्या आप पक्षी की आवाज़ को सुनकर उसका नाम बता सकते हैं? यह कैसे संभव हो पाता है?
  • क्या आप सँघकर बता सकते हैं कि यह कौन-सा फूल है?
  • सँधकर अच्छी-बुरी चीज़ का अंदाजा किस हद तक लगा पाते हैं?


Q:
A:

आज जब मैं अपने घर से विद्यालय के लिए निकला तो चौराहे पर कुछ लोगों की भीड़ देखी। वे लोग हाथों में समाचार पत्र लिए हुए और किसी गंभीर मसले पर चर्चा कर रहे थे। इतने में मेरी स्कूल बस आ गई। थोड़ी आगे चलकर स्कूल बस भीड़ पर जाम में फँस गई। आगे जाने पर पता चला दुर्घटना हो गई है। एक वाहन उलटा पड़ा था। वहाँ का दृश्य देखकर मन दुखी हो गया। लगभग 15 मिनट बाद में विद्यालय पहुँचा। इसके बाद प्रार्थना में शामिल हुआ, फिर कक्षा में गया। उसके बाद धीरे-धीरे शांति का वातावरण छाया।