प्रथम सवैया में कवि ने राम –सीता के वन – गमन प्रसंग का वर्णन किया था I
वन के मार्ग में जाते हुए सीता थक गई थी उनके माथे से पसीना बहने लगा और होठ सुख गए थे वन के मार्ग में चलते चलते उनके पेरो में काँटे चुभने लगे थे I
सीता की आतुरता को देखकर श्रीराम व्याकुल हो उठते थे सीता को थका और प्यासा देख उनकी आँखों से आसू बहने लगते थे वह इस बात से परेशान हो उठते थे कि सीता को इतना कष्ट उनके वजह से झेलना पड रहा था I
राम से सीता की व्याकुलता देखी नही जा रही है लक्ष्मण पानी की तलाश में गए हुए है इसलिए जब तक लक्ष्मण लोट कर आते थे तब तक वे सीता की व्याकुलता और कष्ट को कम करना चाहते है इसलिए राम बैठकर देर तक काँटे निकालते रहे क्योकि अभी उन्हें और चलना है I
सीता राजा जनक की पुत्री है उनका जीवन राजमहलो में बिता था इस प्रकार की कठिनाइयो को उन्होंने ने कही नही देखा था इसलिए अभ्यस्त न होने के कारण उनका ऐसा हाल हुआ था I