एक से तीन साल की उम्र वाले बांसबूढ़े बाँस कहलाते थे ये सख्त होते थे इसलिए आसानी से टूट जाते थे इसके विपरीत युवा बाँस लचीला होता था ये आसानी से नही टूटता था I
वेसे तो बाँस से विभिन्न तरह की चीजे बनती थी जेसे – टोकरी , चटाई, बर्तन इत्यादि पर उनसे बनी हुई विभिन्न आकर्तियो वाली टोकरियो टेबल लैप आश्चर्यजनक लगते थे बाँस से बतख , चिड़िया जेसे टोकरियाँ बहुत सुदर लगती थी वो आक्रतियो इतनी सजीव होती थी कि विश्वास करना मुश्किल होता था उसी प्रकारबाँस से बने टेबल लैंप भी विभिन्न आकारों के होते थे I
कहा जाता था मानव और बाँस की बुनाई का रिश्ता तब से आरभ्भ माना जाता था जब से मनुष्य ने भोजन इकट्टा करना शुरू किया था इसके लिए उसको सामान रखने के लिए एक छोटी टोकरी की आवश्यकता रही हो ये भी हो सकता था उसने ये प्रेरणा चिड़िया के घोसले से प्राप्त की हो और उसी से ये बुनाई सीखकर बुनाई करना आरम्भ किया था I
पाठ में उत्तर – पूर्वी स्थानों के सात राज्यों के बारे में बताया गया था यहाँ पर बाँस का बहुत प्रयोग होता था इसमें विशेष तोर पर उत्तर पूर्वी स्थान के एक श्रेत्र नागालैंड की बात की गई थी I