इस गीत की निम्नलिखित पंक्तियों को हम अपने आसपास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हैं-
साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया।
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया,
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें।
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें।
साहिर ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि एक साथ मिलकर काम करने से बड़ी से बड़ी बाधाओं में भी रास्ता निकल आता है, यानी काम आसान हो जाता है। साहसी व्यक्ति सभी बाधाओं पर आसानी से विजय पा लेता है क्योंकि एकता और संगठन में शक्ति होती है जिसके बल पर वह पर्वत और सागर को भी पार कर लेता है।
साहिर में इन पक्तियों को मनुष्य के साहस और हिम्मत का परिणाम दिखाने के लिए कहा है मनुष्य जब मेहनत करना शुरू करता था तो सागर भी अपना रास्ता छोड़ देते थे और पर्वत भी झुक जाते थे यानी बड़े से बड़े मुसीबत भी हल हो जाते थे इसी हिम्मत के कारण मनुष्य ने सागर चीर पुलों का निर्माण किया और पहाडो पर भी राहे बनाई थी I उत्तर सीना मनुष्य की मजबूत इच्छाशक्ति को दिखता है और कार्यो को पूरा करने का साधन हाथ ही है इसलिए गीत में सीने और बाँह को फोलादी कहा गया था I